Saraswati Puja
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आज बंसत पंचमी का पावन पर्व है। हिंदू धर्म में बंसत पंचमी का बहुत अधिक महत्व होता है। बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की विधि- विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन मां सरस्वती को पीले फूल अर्पित करें। बसंत पंचमी पर पीले वस्त्र पहनने की भी परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है। इस दिन मां सरस्वती की विधि- विधान से पूजा- अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। मां सरस्वती की उपासना करते समय पूजा स्थान पर वाद्य यंत्र व किताबें भी रखें। मां सरस्वती की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए सरस्वती वंदना और सरस्वती वंदना गीत और आरती जरूर पढ़ें।
सरस्वती वंदना
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला
या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा
या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥
(सरस्वती माता आरती)
ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
सद्गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ ॐ जय..
चंद्रवदनि पद्मासिनी, ध्रुति मंगलकारी।
सोहें शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी ॥ ॐ जय..
बाएं कर में वीणा, दाएं कर में माला।
शीश मुकुट मणी सोहें, गल मोतियन माला ॥ ॐ जय..
देवी शरण जो आएं, उनका उद्धार किया।
पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया ॥ ॐ जय..
विद्या ज्ञान प्रदायिनी, ज्ञान प्रकाश भरो।
मोह, अज्ञान, तिमिर का जग से नाश करो ॥ ॐ जय..
धूप, दीप, फल, मेवा मां स्वीकार करो।
ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो ॥ ॐ जय..
मां सरस्वती की आरती जो कोई जन गावें।
हितकारी, सुखकारी, ज्ञान भक्ती पावें ॥ ॐ जय..
जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
सद्गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ ॐ जय..
ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता ।
सद्गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ ॐ जय.